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Shakuntla Agarwal

Tragedy

5.0  

Shakuntla Agarwal

Tragedy

फ़िर भी ना जाने क्यों

फ़िर भी ना जाने क्यों

1 min
544


माँ - बाप की मेहनत का फल ,

आज बच्चे लूट रहे !

फ़िर भी ना जाने क्यों ,

वो हमसे रूठ रहे !

हसरतें जो मन में थी ,

वो आज पूरी हो गयी !

फ़िर भी मन में घुटन लिए ,

हम खुद से ही जूझ रहे !

फ़िर भी ना जाने क्यों ,

बच्चे हमसे रूठ रहे !


आँखों के चिरागों से ,

उनको रोशन कर दिया !

फ़िर भी धुँधलापन लिए ,

हम अंधेरों में गुम हुए !

फ़िर भी ना जाने क्यों ,

बच्चे हमसे रूठ रहे !


ऊँगली के सहारे से ,

उनको आसमां पर बिठलाया !

फ़िर भी धूल सा गुब्बार लिए ,

आसमां में हम अपना हास्य ढूँढ रहे !

फ़िर भी ना जाने क्यों ,

बच्चे हमसे रूठ रहे !


तिनका - तिनका जोड़कर ,

उनको नीड़ में बिठलाया !

फ़िर भी तिनका साथ लिए ,

हम खुद का आशियाँ ढूँढ रहे !

फ़िर भी ना जाने क्यों ,

बच्चे हमसे रूठ रहे !


खुद को होम कर ,

बच्चों को परवान चढ़ाया !

आबाद रहे वह ,

इबादतों में शामिल पाया !

उड़ गए तस्वीर से ,

रंगों की तरह !

मुंडेर पर बैठे ,

परिंदों की तरह !

पिंजरा अपने हाथ लिए ,

हम उनको आज ढूँढ रहे !

फ़िर भी ना जाने क्यों ,

"शकुन" बच्चे हमसे रूठ रहे !


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