एक सलाम हमारे सैनिकों के नाम
एक सलाम हमारे सैनिकों के नाम
जो शहीदों ने किया, कर सकता नहीं कोई काम
एक सलाम हमारे सैनिकों के नाम।
बूढ़ी चार आंखें पथराई-सी राह तके हैं
भाई-बहना भी बेकरार इंतज़ार करे हैं
वो प्रेमाकांक्षी बाबुल का घर छोड़ तो आई
लिए बाल-गोपाल नैनन से बादल बरसे हैं
हिन्द रहे अखंडित, तजा निज परिवार-आराम।
जन की खातिर दिन-रैन जागरण करते हैं
विपदा से बचाने मुश्किलों का वरण करते हैं
हो जान में जान तिरंगे की हैं शान बढाते
जो वीरगति हो मिट्टी को नमन करते है
वीरोचित कर्मवीरों को है, बारम्बार प्रणाम।
जान से ज्यादा प्यार वतन को किया है
शान-ए-हिन्द के लिए तन-मन भी दिया है
और कोई मिसाल नहीं दिखता है ऐसा
कतरे-कतरे खून से सरहद सींच दिया है
रोम-रोम ऋणी है, करता है नमन अविराम।