Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Ambuj Pandey

Abstract

3  

Ambuj Pandey

Abstract

अब अपने मन की सुन लो।

अब अपने मन की सुन लो।

1 min
350


गलत फैसले भी होते हैं लो अब तुम अच्छा चुन लो,

बहुत हो चुका जीवन यापन अब अपने मन की सुन लो।


कब तक यूँ सुनते रह जाओगे दूजे की चाहों से,

कब तक घिरे रहोगे अंतर्मन की उन कुंठाओं से,

कब तक कोई गैर तुम्हारे सपनों से यूँ खेलेगा,

कब तक काम करोगे तुम और श्रेय कोई भी ले लेगा,

कब तक बने रहेंगेे अर्जुन कब तक कृष्ण सिखाएंगे,

चल उठें बने हम कर्ण स्वयं का रण चुन रण में जाएंगे,

कब तक पंख खरीदोगे अब खुद अपने पर तुम बुन लो,

बहुत हो चुका जीवन यापन अब अपने मन की सुन लो।


उठो आग दो सपनों को अब पकड़ो थोड़ी सी रफ्तार,

एक अकेले क़ाफी हो तुम अड़चन आये लाख हज़ार,

रुकने मत दो खुद को कोई कुछ भी कहे सुने बोले,

खुशियाँ देखो आँख बिछाए खड़ी वहां बाहें खोले,

कष्ट थोड़ा दे लो खुदको अब त्याग सहजता का जीवन,

अपने मंज़िल पर केंद्रित कर लो अब तुम अपना ये मन,

बन निकलोगे कनक समय की ज्वाला में खुद को भुन लो,

बहुत हो चुका जीवन यापन अब अपने मन की सुन लो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract