लेकिन तुम तो...
लेकिन तुम तो...
"मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूँ,
लेकिन तुम तो मुझसे प्यार करती हो !
जब तक 'मैं' और 'तुम'जुदा रहेंगे
तो फिर कैसे दो जिस्म एक जान बनेंगे ?
ज़रा दूरियां मिटाओ,
पास आओ और घुल जाओ
पानी में शक्कर के जैसे
फिर देखो कैसे ज़िंदगी
शरबत - सी मिठास देती है !
यादों में जब तुम अचानक
यूं मुस्कुराती हो,
उसी वक्त न जाने क्यों
तेरी हँसी मेरी हँसी बन जाती है !
जब ज़ुल्फों को लहराकर शर्माती हो
तो दिल के समंदर में लहरे उठती हैं !
और जब मुँह बिगाड़कर चिढ़ाती हो
तो लगता है जैसे
ज़िंदगी का मकसद मिल गया है !
बात बिन बात जब रूठ जाती हो
तो लगता है कि मेरी साँसे
मुझसे बगावत करने लगी हैं !
जब तेरी आँखों से आँसू बहते हैं
तो लगता है कि
धड़कन भी चुप होगी
और जब आखिर में
तुम सुबकते - सुबकते मुस्कुरा देती हो
लगता है,
ज़िंदगी का जमा हुआ झरना
पिघलकर, हिलोरे लेकर बहने लगा है
जब आहें भरकर सोचता हूँ कि
मैं तुमसे बेहद मुहब्बत करता हूँ
तभी याद आता है,
लेकिन तुम तो मुझसे प्यार करती हो...!