आजाद पंछी
आजाद पंछी
चलेगा अगर कठिन है मेरा रास्ता,
मैं उन्ही रास्ते से मुड़ना चाहती हूं।
अरे मैं एक आजाद पंछी हूं,
जो पंख खोलकर उड़ना चाहतीं हूँ।
सपने तुमने भी देखे होंगे पर,
मेरा ख्वाब ज्यादा ही बड़ा है।
मैं दौड़ती हूं उन्हें पाने के लिए,
जब हर कोई आराम से पड़ा है।
बात ना करो मुझसे रूकने की,
ये तो मैंने कभी सीखा ही नहीं।
हारती हूं मैं भी कभी-कभी पर,
ऐसा थोड़ी है कि मैंने जीता ही नहीं।
क्या कहा? मेरे पंखों को काटोगे!
अरे ये इतने भी कमजोर नहीं।
याद रखना, मेरी उड़ान को रोक सके,
ऐसा किसी के बाजुओं में जोर नहीं।
मैं कभी नीचे नहीं बल्कि आसमां की,
अक्सर ऊंचाइयों को देखती हूं।
तुम कठिनाइयों को सोचते होंगे पर
मैं उन्हें पार करने के बारे में सोचती हूं।
याद रखो कैद करोगे अगर पिंजरे में,
तो मेरी उड़ान को कैसे रोकोगे?
मैं पिंजरा तोड़ कर उड़ जाऊंगी,
और तुम यहाँ बैठे-बैठे देखोगे।