सफ़र
सफ़र
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रोशनी देख के
फिर अँधेरे में जीना
ऐ ज़िन्दगी
बहुत लंबा
सफ़र है।
सुनो तुम संग
जी कर फिर
ना बिछड़ना
हमसफ़र
बहुत लंबा
सफ़र है।
क्या पता
किसकी जय
किसकी पराजय
वक़्त की हार है
लंबा सफ़र है।
वो डरना रात में
अंगुली पकड़े सोना
अजाने स्वप्न की
अनिद्रा है और
लंबा सफ़र है।
ना जाने रिश्तों से भी
कहीं कुछ और आगे
उम्मीदें साथ रहने से हैं
और लंबा सफ़र है।
रोशनी देख के
फिर अँधेरे में जीना
अनिद्रा है और
लंबा सफ़र है।