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Sudha Singh 'vyaghr'

Others

4.9  

Sudha Singh 'vyaghr'

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सुनो बटोही

सुनो बटोही

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सुनो बटोही,

तुम मुसाफिर हो, तुम्हें चलते ही जाना है।

बहु बाधा, बहु विघ्नों से, तुम्हें निर्भय टकराना है।

ये जीवन, हर पल खुशियों और दुख का ताना बाना है।

कभी उठाओगे तुम किसी को, तो कभी किसी को तुम्हें उठाना है ।।


सुनो बटोही,

काल की क्रिड़ा से तुम्हें सामंजस्य बिठाना है ।

इस चक्र में गिरना है , संभलना है।

हर उम्र एक पड़ाव है , रुकना, सुस्ताना है।

कटीबद्ध हो, फिर कर्मपथ पर आगे बढ़ जाना है।।


सुनो बटोही,

मष्तिष्क में कौंधते मिथ्या भावों के जालों को तुम्हें सुलझाना है।

निविड़ तिमिर में तुम्हें हौसलों की मशाल जलाना है।

सम्पूर्ण निष्ठा से रहट बन अनवरत अपना धर्म निभाना है।।

पतझड़ में भी तुम्हें आशाओं के फूल खिलाना है।


सुनो बटोही,

तुम मुसाफिर हो, तुम्हें चलते ही जाना है...







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