नसीब
नसीब
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जाने कैसा नसीब लेकर आते है ये बच्चे,
ना ही खाने को दो वक्त की रोटी,
ना ही पहनने को अच्छे कपड़े,
ना ही इनके पैरो में जूते,
फिर भी होती है इनके चेहरे पर हंसी,
माँ भी क्या करे जब कोई जुगाड़ नही हो पाता,
तो बच्चो को बहला फुसलाकर सुला देती है,
कह देती है मेरे प्यारे बच्चो सो जाओ,
ख्वाबो में फरिश्ते आएंगे खाना लेकर,
बच्चे भी माँ की बात मानकर गहरी नींद में खो जाते है...