वो शख्स
वो शख्स
देख कर यूँ ही नहीं
धड़कता ये दिल मेरा ।
कोई एहसास सा
सीने में उतरता गया
जब वो पहलू से होकर
मेरे गुजरता गया ।
उसकी आँखों मे भी
देखी थी, वही कशिश मैंने
जो झुकी पलकें मेरी शायद
उसे बयां भी कर गई।
ये ख़ामोशी के लम्हे,
ख़ामोशी से ही गुज़र जाने दो
वरना यूँ ही नहीं पढ़ता,
हर कोई खामोशी मेरी ।।