ये प्यार नहीं तो क्या है
ये प्यार नहीं तो क्या है
नजरें झुकाकर उसने
मंद मुस्कराहट से
अपने उत्सुक नयनों से
धीरे से मुझसे पूछा कि
ये प्यार क्या होता है?
मेरे प्रफुल्लित लबों ने
धीरे धीरे से ये कहा कि
रात जल्दी सोने का जो
वादा तुम रोज ही करती हो
फिर वादे से मुकर कर
देर रात तक बाते करती हो
ये प्यार नहीं तो क्या है
हाथों में हाथ डाले
उस पार्क कि बैंच पर
धीरे से कानों में फुसफुसा कर
मुझसे कहना कि
ये वक्त थम क्यों नहीं रहा
फिर जल्दी से
वापिस मिलने की कहना
ये प्यार नहीं तो क्या है
कभी तेरे शहर से जब मेरे
गुजरने पर जो ये नैन ना मिले तो
इनमें अश्रुपूरित धारा लिए
मुझसे ये कहना कि
वहां जाना भी जरूरी है
ये प्यार नहीं तो क्या है
अख़बारों के पन्नों में
फोन को छिपाकर
धीरे धीरे बतियाना
फिर भाई के पकड़े जाने पर
उनसे ये कहना कि अब
इन नए गानों में वो बात नहीं
ये प्यार नहीं तो क्या है
मैं भटका उस राह पर
जहां मेरा वजूद ना था
मुझे पाने की खातिर तुमने
कितने मोती जो बर्बाद लिए
फिर धीरे से मुझसे कहना
कि तेरा वजूद ही मेरा है
ये प्यार नहीं तो क्या है
उस कप पर जो तेरा मेरा
एक अक्स सा छपा हुआ था
उस मंदिर के चौखट पर भी
तुम हाथ पकड़ के खड़े हुए थे
उस रक्षक के आंगन में भी
जो बिछुडने का डर तुम्हे था
ये प्यार नहीं तो क्या है
उसने फिर धीरे से मुझे
अपनी बांहों के घेरे में लेकर
बस एक छोटी सी बात कहीं
कि मुझसे तुम जुदा ना होना
तुम बस मेरे हो बस मेरे हो
ये प्यार नहीं तो क्या है।