Pinky Shah
Drama Romance
रब से दुआ करते हैं
कामयाबी तेरे सिर का टीका बन जाए
तू जहाँँ पर भी कदम रखे
शोहरत, तकदीर तेरे दोस्त बन जाएँ...!
" एक सलाम माँ...
कामयाबी
शायरी
शायद
इनायत
महफ़िल - ए - श...
रब से दुआ
देव जी
सीख लिया है.....
ज़रा रुको, थोड़ा सांस लो। ज़रूरी है थोड़ा आराम भी। ज़रा रुको, थोड़ा सांस लो। ज़रूरी है थोड़ा आराम भी।
जो पुरुष बहन बेटी का अपमान करे, वह आज का रावण है। जो पुरुष बहन बेटी का अपमान करे, वह आज का रावण है।
सहज के रखना न आया ख्वाबों के महल को, सहज के रखना न आया ख्वाबों के महल को,
कुछ साहिल अपने लिए खरीदने हैं मुझे। कुछ साहिल अपने लिए खरीदने हैं मुझे।
उसको पाया तो पूर्ण हुआ, खुद मां और मुझको पिता बनाती है।। उसको पाया तो पूर्ण हुआ, खुद मां और मुझको पिता बनाती है।।
मैं अब कोई निपट मिथ्या भरम नहीं साकार हूँ, मैं अब कोई निपट मिथ्या भरम नहीं साकार हूँ,
तब भटकते रह जाओगे इधर से उधर। तब भटकते रह जाओगे इधर से उधर।
तुम हमसे मोहब्बत करते हो बेशुमार। तुम हमसे मोहब्बत करते हो बेशुमार।
बिना रुके अपने लक्ष्य को साधिए। आप बढ़ते रहिए और आगे को। बिना रुके अपने लक्ष्य को साधिए। आप बढ़ते रहिए और आगे को।
मेरी अंखियाँ तरस गईं थीं, तुझे देखने को। मेरी अंखियाँ तरस गईं थीं, तुझे देखने को।
धोखे बाज कह देते उन्हें पर कभी ऐसे शब्द ना मिले धोखे बाज कह देते उन्हें पर कभी ऐसे शब्द ना मिले
तुम्हारे लिए वक़्त बहुत हैं मुझे समय फिसलता दिखायी देता हैं तुम्हारे लिए वक़्त बहुत हैं मुझे समय फिसलता दिखायी देता हैं
हां, केवल वहीं देख पाता है अपना अक्स। हां, केवल वहीं देख पाता है अपना अक्स।
हमारे जज़्बातों को समझ सके सब अपने छलावे की दुनिया मग्न है हमारे जज़्बातों को समझ सके सब अपने छलावे की दुनिया मग्न है
वक्त बहलाने को बस जैसे साथी हमें उसने बना लिया । वक्त बहलाने को बस जैसे साथी हमें उसने बना लिया ।
कि आ जाओ फिर से ज़हन में मेरे और, रुसवा करो मुझे, मेरी कोई ख़ता रही है। कि आ जाओ फिर से ज़हन में मेरे और, रुसवा करो मुझे, मेरी कोई ख़ता रही है।
कहीं कागज़ पर व्यथित शब्दों की चीत्कार हूँ , कहीं कागज़ पर व्यथित शब्दों की चीत्कार हूँ ,
एक वादा मांगने की भी दरकार नहीं, एक पल साथ गुज़ारने को ना आऊंगा। एक वादा मांगने की भी दरकार नहीं, एक पल साथ गुज़ारने को ना आऊंगा।
हम चाह कर भी इश्क को नाम ना दे पाए। हम चाह कर भी इश्क को नाम ना दे पाए।
सपनों में आकर सताता है मुझ को, रुबरु मिले तब रुलाता है मुझ को, सपनों में आकर सताता है मुझ को, रुबरु मिले तब रुलाता है मुझ को,