सोच
सोच
अमर बनाती है इंसान को
उसकी सोच
उसके कर्मों की
नियति बनती
उसकी सोच
यह शरीर तो नश्वर है
शाश्वत है तो बस एक
यही सोच।
गाँधी, गौतम, महावीर हो
या हो विवेकानंद
सबने पाया जीवन में
सदा परम आनंद
उनकी सोच ने
नियत किए कर्म
जान पाए वो
जीवन का मर्म
महानता उनकी
पूजी जाती जग में
मरकर भी अमर हैं
इस अमरता का मूल है
उनकी सोच।
आज मानव घिर गया
निज स्वार्थ से
मुँह मोड़ लिया है उसने
परमार्थ से
कुंठित होती जा रही
उसकी सोच।
धर्म मज़हब की लड़ाई
लड़ रहे भाई भाई
मंदिर मस्जिद राम रहीम में
अटक गई है आज
इनकी सोच।
मानवता ही एक धर्म है
ईश्वर हर दीनन के द्वार
सेवा भाव से मिल पाएगा
रहीम कहो चाहे राम
रखनी होगी पाने को
उत्तम अपनी सोच।
जीवन का सच्चा सुख
मिल पाएगा तब
लोभ मोह छोड़ कर
जब बदले
अपनी सोच।