'मेरी मोहब्बत'
'मेरी मोहब्बत'
जैसे सागर की बाँहों में सिमटी
मौजे गिनी नहीं जाती,
वैसे मेरे दिल की गहराई में बसी
तेरी चाहत चुनी नहीं जाती।
अंतस की गहराई से चाहूँ तुझे सनम
तू चाहे भी तो मेरे इश्क की दास्ताँ
तुझे सुनाई नहीं जाती।
है मोहब्बत में गुम हम इस कदर तेरी
हर धड़कन पे तेरे नाम की कसक
रोकी नहीं जाती।
उदास है हर लम्हा सूने हर साज है
दिल की महफ़िल में
रुबाई गायी नहीं जाती।
जोश ए जूनून की हद नहीं जालिम
टूटकर चाहने की तमन्ना
दिली नहीं जाती।
पता नहीं तुम्हें पता है कि नहीं
इन्तेहाई हमारे इश्क की
दिल चीरकर दिखाई नहीं जाती।
हो महसूस कभी हमारे
अहसास तेरी रुह को
चले आना खुली है,
दिल की दहलीज
महबूब के लिये किवाड़ पे
कुंड़ी लगाई नहीं जाती।
बेचकर अपनी सारी खुशियाँ
खरीद लूँ तेरे सारे गम
लगा लूँ अपनी उम्र, तेरी उम्र से,
पर क्या करुंँ
मजबूर हूँ
लगाई नहीं जाती।।