हँसता हुआ बचपन
हँसता हुआ बचपन
मेरा हँसता हुआ बचपन,
मेरा प्यारा सा खिलौना
बहुत मासूम सा चेहरा,
सो जाता है पकड़ के मेरे तकिये का कोना।
उसकी मुस्कराहट ऐसी
जैसे कोई सपना सलोना
उसका सुबह सामने होना,
जैसे सर्दी की धूप का बिछोना।
मेरा हँसता हुआ बचपन,
मेरा प्यारा सा खिलौना
हर कोई है दीवाना उसका
उसकी बातें सुनकर सोना
हर बात सोचकर कहना
जैसे पकड़ता तफ्तीश का कोना।
उसे रहती शिकायत बहुत
रोज़ लो मेरे लिए खिलौना
उसकी नाराज़गी ऐसी जैसे
फूटने वाला हँसी गुब्बारे का कोना।
मेरा हँसता हुआ बचपन,
मेरा प्यारा सा खिलौना...!