मैखाना न होता
मैखाना न होता
ये साकी न होती, ये पैमाना न होता ।
खुदा काश ! जहां में मैखाना न होता ।।
उनका प्यार ही बस इबादत होती मेरी ।.
मुझे ओर किसी दर पे जाना न होता ।।
मुहोब्बत के दरिया में हम भी डूब जाते ।
प्यार का दुश्मन अगर ये जमाना न होता ।।
उनकी आगोश में मेरे दिन-रात ढलते ।
काश ये हकीकत होती फसाना न होता ।।
जमाने से हम कभी भी बगावत न करते ।
अगर तुमसे ये दिल लगाना न होता ।।