गप्पे
गप्पे
मन हल्का,
तन पुलकित हो जाता है
हसीं ठिठोली
कुछ पल चिंता
मुक्त कर जाता है।
आओ बैठे कुछ
हल्की फुल्की बातें करें
समस्याओं से जी अकुलाता है
गप्पें मारे
पर निंदा न हो।
अपमान किसी का न हो शामिल
गुदगुदाए
मन को ऐ मुसाफिर
सफर जिंदगी का जी जाना है।
कौन भाए रोता मुखड़ा
भवें टेढ़ी
हमें डराता है
आकर्षित करें
मुस्कुराता चेहरा
गप्पें लोगों को करीब लाता है।
आओ भूलें
ईर्ष्या, द्वेष
कुछ पल की जिंदगानी है
गप्पें मारे मीठी मीठी
गप्पें बचपन लौटाता है।