यादें
यादें
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यादों के पुलिंदों को
वक़्त की उस अलमारी में
कुछ यूँ सहेज रखा है... के
जब एहसासो की किल्लत हो
और रूह की प्यास न बुझ पाये
दामन दिल का भी सूखा हो
तब रूह की प्यास बुझाने को
और दामन दिल का भिगोने को
बादलो के कुछ गुच्छों को
जिनमे यादें लबालब हो
वक़्त की उस अलमारी से
आज़ाद फ़िज़ाओं में भर दूँगी
और अपनी प्यास बुझा लूँगी
कुछ और घडी इस दुनिया में
जीने का मन … बना लूँगी