अब मैं पन्नों पर आंसू बहाता हूं
अब मैं पन्नों पर आंसू बहाता हूं
अब मैं पन्नों पर आंसू बहाता हूँ,
मुझे देख ना ले कोई चुपके से,
मैं कलम की सियाही से निकल जाता हूँ,
प्यार मेरा शब्दों में बिखरा रहता है,
मुझे जब मिलना होता है उनसे,
मैं शब्दों के मोती की माला बनाता हूँ,
अब मैं पन्नों पर आंसू बहाता हूँ,
मुझे दर्द में जीने की आदत सी है,
अब मैं लिख कर शब्दों को रुलाता हूँ,
उम्मीद आरज़ू सबका दरिया बन जाता हूँ,
मुझे जब और पढ़ना होता है उन्हें,
मैं एक नया पन्ना और लिखने आता हूँ,
अब मैं पन्नों पर आंसू बहाता हूँ,
मेरी फ़रमाइशें मुझे धोखा नहीं देगी,
अब मैं अपनी फ़रमाइशें खुद लिखकर मिटाता हूँ,
तनहा शायर हूँ