मन की आवाज़
मन की आवाज़
आँखों ही आँखों में ऐसी बात हो गयी
ना तूने जाना ना मैंने समझा और हमारी एक नयी शुरुआत हो गयी
मेरे मन मंदिर में तू ही बस्ता गया
और मेरा मन प्रेम जाल में फंसता गया
मन प्रेम जाल में फंसकर भी खुश रहता है
तभी तो ग़मों को भी मुस्कुरा कर सहता है
तुम्हारी ये मुस्कान ही मेरी दुनिया बन गयी
और इसी को पाने के लिए मैं हद से गुज़र गयी
ज़िन्दगी अब एक ऐसे मुकाम पर खड़ी है
जिसमें मरना तो आसान पर जीना मुश्किल है
इन्ही मुश्किलों को आसान कर दिखाउंगी और
एक दिन तुम्हारी ही हो जाउंगी
मेरी ख़ुशी में ही तुम्हारी ख़ुशी हो ये कोई ज़रूरी तो नहीं
ये मोहब्बत है जनाब कोई जी हजूरी तो नही
मन को बेहद समझाती हु थोडा कम याद करे तुम्हे
और इसी समझने समझाने में मेरी आँखें भर आती है।