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Prateek Tiwari (तलाश)

Drama

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Prateek Tiwari (तलाश)

Drama

क़लम पुनः मैं उठाता हूँ

क़लम पुनः मैं उठाता हूँ

1 min
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जाने कितने प्रश्न हैं दिल में

जिन्हें शब्द नहीं दे पाता हूँ ।

शायद अस्तित्व नहीं इन प्रश्नों का

ना क्षमता मुझमें अभिव्यक्ति की

बस भय छुपा, कोने में किसी

करने को प्रकट घबराता हूँ ।


या रंग हैं इतने जीवन के

कि मूल समझ ना पाता हूँ ।

पराजय भी तो स्वीकार नहीं है

जीवन में ऐसे धिक्कार सही है ।


बार बार दोहराकर सब ये

साहस ख़ुद में भर पाता हूँ ।

या आँखों से ओझल कर सपने

कुछ मैं संतुष्टि पाता हूँ ।


पर देखा जब गहराई में ख़ुद की

मिला इक प्रश्न का उत्तर कुछ यूँ

कि जीवन में कुछ कर जाता हूँ ।

करने को अंकित कुछ अपने निशाँ

आज क़लम पुनः मैं उठाता हूँ ।

क़लम पुनः मैं उठाता हूँ...!


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