जन की बात
जन की बात
कर रहे हैं मन की बात,
कब सुनेंगे जन की बात,
ज़रा सोचिए हमारी बात,
अमल करें विदुर की बात।
नहीं चलेगा असत्य
संवाद माध्यमों की बात,
चाहे बढ़ाते रहें आप
अपने सराब की बिसात,
गौर से समझिए ग़रीब
बेरोज़गारों के बुरे हालात,
बद से बद्तर हो चुके हैं
कई लोगों के दिन-रात।