ज़िद्दी मक्खी
ज़िद्दी मक्खी
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कितनी ज़िद्दी हो तुम मक्खी
अभी उड़ाती फिर आ जाती!
हाँ मैं भी करती हूँ लेकिन
माँ मनाती झट मन जाती।
माँ तेरी समझाती होगी
जैसे माँ मेरी समझाती ।
जो बच्चे होते हैं ज़िद्दी
उनको अक्ल कभी ना आती।
अगर स्कूल तुम जाती होती
तुम भी समझदार बन जाती।
अच्छी-अच्छी बातें कितनी
टीचर जी तुमको समझाती!