करो न आहट
करो न आहट
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करो न आहट धड़कनों
टुकड़े दिल के जुड़ रहे हैं
करो न आहट आहों
बहते आँसू सूख रहे हैं
करो न आरज़ू कोई
बिखरा अक्स बन रहा है
करो न फरियाद कोई
होगा न कोई मोल तेरा
साँसे छुटने से पहले
है अदा यही ज़िन्दगी की
खोने के बाद ही चीज़
बेशक़ीमती हो जाती है
ऐ दिल सँभल जा
नए दर्द ने दी है दस्तक फिर है
ऐ पलकों सँभल जाओ
थामना होगा आँसुओं को फिर ||
~~~~ मीनाक्षी सुकुमारन ~~~~