आधुनिक युग की नारी हूँ मैं
आधुनिक युग की नारी हूँ मैं
मैं आधुनिक युग की नारी हूँ,
कमज़ोर नहीं हूँ मैं,
सीमा को लांघना सीखा नहीं कभी,
ऐसे संस्कार मुझे मिले नहीं,
पहनती हूँ जीन्स - टॉप भले ही,
मगर बुजुर्गों का सम्मान करना सीखा है मैंने,
कोई निर्भया बनाकर तोड़ना चाहता है,
मगर मुझे चलने का हौंसला आता है,
हर मुश्किल का सामना करना जानती हूँ,
मैं आधुनिक युग की नारी हूँ,
मुझे हारना नही आता,
लक्ष्मीबाई बनकर उनका सामना करना जानती हूँ,
कभी दुर्गा का रूप लेकर,
कभी काली का रूप लेकर,
हर युग मे राक्षस रूपी दानव का संहार करना जानती हूँ,
मैं आधुनिक युग की नारी हूँ,
कभी मिट्टी का तेल डालकर जलाने की कोशिश होती है,
कभी मुझे गर्भ में मारने की साजिश होती है,
मगर मैं कभी हारी नहीं ,
कभी दहेज रूपी दानव का शिकार हुई,
कभी बलात्कर और छेड़छाड़ का शिकार हुई
आधुनिक युग की नारी हूँ मैं,
डटकर सामना करती हूँ मैं,
कभी एसिड अटैक का शिकार हुई,
कभी सरेआम बदनाम हुई,
मगर टूटी नहीं मैं,
हिम्मत और हौंसले कम नहीं हैं मेरे,
मुझे भरोसा है मेरे इरादों पर,
इस जगत का उद्धार एक नारी ने किया,
मैं नारी हूँ गर्व से कहती हूँ मैं,
बस आधुनिक नारी हूँ मैं,
हर रोज लड़ी कई जज़्बातों से,
मगर कभी बिखरी नहीं, कभी टूटी नहीं,
मैं आधुनिक युग की नारी हूँ,
एक संस्कारी बेटी हूँ मैं,
एक संस्कारी पत्नी हूँ,
एक संस्कारी बहू हूँ मैं,
एक माँ हूँ मैं,
कितने दायित्व निभाने वाली,
एक आधुनिक नारी हूँ मैं।।