" नदी जीवन "
" नदी जीवन "
(१)
नदी जीवन हमारी है इसे हरपल बचायेंगे,
बनाएँगे इन्हें निर्मल न नाले अब बहायेंगे।
कसम खायें चलो आओ कि मिलकर हम दुबारा से-
किनारों पर लगाकर वृक्ष जलधारा बढ़ायेंगे।।
(२)
पुरातन आस्था के संग, फिर इतिहास आएगा,
मिटेगी गन्दगी सारी, हरित सौंदर्य आएगा।
कि सांसे घुट रही इनकी बचाना भी जरूरी है--
करेंगे साफ नदियों को इन्हें फिर सांस आयेगा।।
(३)
कसम खाओ न फेकोगे कुड़ा तुम तो नदियों में,
बसाओगे इन्हे दिल में बसे अब जान नदियों में।
सभी से है निवेदन अब कि इक संकल्प सब करलो--
न डालेंगे कभी कचरा कि अपने घर का नदियों में।।