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Husan Ara

Abstract

5.0  

Husan Ara

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बारिशें

बारिशें

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हल्की सी फुआर

तेरी मेहरबानियों की पड़ी जो है

दिल मेरा कहता है

बारिशें भी ज़रूर होंगी।


मगर देखकर तेरे बादलों का रुख

मेरी जानिब

डर मुझे लगता है, ज़माने से

साज़िशें भी ज़रूर होंगी।


फिर भी उन ठंडी हवा के झोंके

मेरे सब दर्द मिटा देंगे

मगर दिल को भरी बरसात की

ख्वाहिशें भी ज़रूर होंगी।


समेट कर रख लेंगे गर एक बूँद भी

तो काफी होगा, मेरी तसल्ली को

मगर ये दुनिया भी देखेगी

आज़माइशें भी ज़रूर होंगी।


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