एक बूँद
एक बूँद
एक बूँद पानी को तरसती दुनिया
ग्रीष्म की गर्मी से तड़पती दुनिया
प्यासे पक्षियों ने आज दम तोड़ा
संभल जा नर अब जीवन थोड़ा।
मत व्यर्थ कर पानी की बूँद को
समझ ले तू इसके महत्व को
अनमोल बहुत है एक बूँद पानी
दुनिया है सारी इसकी दीवानी।
इसके बिना न तू रह पायेगा
पग-पग पथ पर ठोकर खायेगा
अब तो समझ इसकी महानता
नानी से सुन ले इसकी गाथा।
जल ही प्रारंभ, मध्य और अंत
कहते ज्ञानी-विज्ञानी और संत
इसका नहीं है कोई आकार
जल ही जीवन का मूलाधार।
पानी ही पानी जग की कहानी
कहीं सूखा तो कहीं आसमानी
डोर से बूँद की जीवन बँधा है
इसके सहारे ही प्राणी सदा है।
समझ जा अब छोड़ मनमानी
मन से कर ले इसकी निगरानी
इसके रहते ही तू रह पायेगा
वरना जीवन व्यर्थ गवांएगा।