Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Sonam Kewat

Romance

1.8  

Sonam Kewat

Romance

चाहत

चाहत

1 min
2.0K


पास जाऊँ तो भी नहीं पहचानती है,

वो पगली मेरी चाहत नहीं जानती है।


देखा था पहली दफा उसे ख्यालो में,

फूल लगे थे उसके घनेरे बालों में।

नज़रों से जैसे कुछ वो बता रही थी,

उसकी हर अदाएंँ मुझे सता रही थी।

पर तारीफ करूँ तो बुरा मानती हैं,

वो पगली मेरी चाहत नहीं जानती है।


उसकी गलियों से हर रोज़ गुज़रता हूँ,

मिल जाए कहीं शायद यही सोचता हूँ।

एक रोज़ मिली थी उसकी मेरी नज़र,

नहीं बयान कर सकता वो हसीं मंज़र।

जाने क्यों गैरो को अपना मानती हैं,

वो पगली मेरी चाहत नहीं जानती हैं।


कल ही आई थी रोते हुए मेरे पास,

मिलना था उससे जो है उसका खास।

उसकी धड़कन गैर के लिए धड़कती है,

पर मेरी चाहत उसके लिए तड़पती है।

उसे वो अपना रब व खुदा मानती हैं।

वो पगली मेरी चाहत नहीं जानती है।


जाने भी दो अब क्या बयान करूँ उससे,

कैसे कह दूँ कि हमें मोहब्बत है तुमसे।

उसकी आरज़ू का कहीं और ठिकाना है,

ना तो मुझे अपनी चाहत को जताना हैं।

उसकी मोहब्बत मेरी जुदाई माँगती है,

वो पगली मेरी चाहत नहीं जानती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance