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Anushree Goswami

Drama Inspirational

5.0  

Anushree Goswami

Drama Inspirational

आईना

आईना

1 min
7.0K


जीवन के किसी भी मोड़ पर,

रुकना नहीं!

हौसला गर टूट जाए,

तुम टूटना नहीं!


मुसाफिर,जान ले तू,

रहस्य ये ज़िन्दगी का,

राह ही है मंजिल,

मंजिल-सी मृगतृष्णा नहीं!


है जीवन बह रहा,

जैसे एक विशाल नदी,

तू भी बह रहा, बन नदी,

नहीं, तू स्थूल-देह नहीं!


तू आकाश, ज़मीं, तू ही वायु है,

अनगिनत तारे आकाश के,

जितनी तेरी आयु है!


मिट जाएगा ये वस्त्र शरीर-सा,

तू नहीं मिटेगा,

फिर तू खुद ही खुद से,

कब तक यूँ लड़ेगा!


बहरहाल ये ज़िन्दगी,

एक बंद कमरे में कैद है,

जब तक इस मोह-माया से,

तू खुद निकलेगा नहीं!


है राह तेरी, मंज़िल तेरी,

तू इस पथ का राही है,

मंज़िल की मंज़िल भी तू है,

जब तक तू रुकता नहीं!


आज खुद को आज़ाद कर,

इनाम दे इस इश्क़ का,

फिर जो दिख रहा दर्पण में,

वही आखिरी मंज़िल है,

शेष अब कुछ भी नहीं...!


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