अमन की राह पर
अमन की राह पर
तोड़ कर सरहदों की बाड़,
खुश जमीं के इंसान बन जाए,
भूल जायँ बीती बातें,
नयी किताब का चलो नया पन्ना लिखे,
अमन की राह पर !
रोतीं रूहों जलती जिंदगियों की
तपीश से कुछ दूर
चलो फिर एक बार जिन्दा,
आँखों चलती सांसो की कुछ बात करे,
दिलों की सरहदे नहीं होतीं,
जमीं के टुकड़ों पर खींची लकीरों को,
दिल के पर्दे पर ना उतारना,
खुल्ली हवाओं के सवार हैं दिल,
अमन की राह पर इन्हे उड़ने दो,
स्याह रात के लाल धब्बों की नमी में
नए फूलों को खिलने दो
बस भूल जाओ अब,
तलवारों की सेज सजी थीं कभी,
बारूदी बबंडर में हवाएं जली थीं कभी,
सालों के फेर में ना तुम जागे न हम सोए,
उन भयावह अंधेरों में,
तुम भी सिसके हम भी रोए,
हाथ बढ़ाओ
सुनहरी किरणों को समेट लो,
बीती रात के घने कोहरे को भूल,
कंटीली तार्रों के जाल से दूर,
जमीं पर हंसती रौशनी की फसल उगने दो,
अमन की राह पर !