जय मातादी
जय मातादी
नवरात्र है माताजी की गौरी पूजन का संस्कार,
देवता भी नहीं कर पाये वध महिषासुर।
माता ने अकेले विनाश किया चण्ड मुण्ड और महिषासुर का
क्या है असंभव जहां भारतीय नारी लेती है हिस्सा!
रावण वध का आशीर्वाद भी राम ने माता से लिया
दुनिया में सब अधा अधुरा बिना उनकी साया।
स्वयं नारायण अधुरे थे वे बन गये नारायणी
हर घर में नारी बिना कहाँ पुरी होती है कहानी!
हर नारी है दस भुजा चाहे दिखती वो द्विभुजा
बेलन,चट्टु, चूल्हा चौका वहीं तो खुलती दरवाजा।
नारी के बिना पुरुष क्या है शक्तिहीन शिव भी शव
हर सवारी का दो पहिया है एक में लगता अज़ब।
हर जगह हरि हो नहीं पाये बन गये वह माता
पुरुष चाहे समझे आपको घर का भाग्य विधाता!
दुर्गा पूजन का है ये पैग़ाम नारी को करो सम्मान
दोनों पहिया साथ चले तो मंजिल होए आसान।