Sanjay Pathade Shesh
Tragedy
बनते दूल्हा
माता-पिता को भूला
अलग चूल्हा।
रेवड़ी
जनप्रतिनिधि
अजब दौर है
आदत
श्रद्धा बनाम ...
मोहरा
मोहरे
विश्वास
आश्वासन
हाइकू रचनायें
ये कैसी नवरात्रि आई है। सोच रहे हो कह रहा हूं मैं क्या। ये कैसी नवरात्रि आई है। सोच रहे हो कह रहा हूं मैं क्या।
पर दिल में लगे जख्म नासूर बनकर दर्द देता है जीवन भर।। पर दिल में लगे जख्म नासूर बनकर दर्द देता है जीवन भर।।
और शुरू करें फिर वहां से जहां तुम तुम रहो और मैं 'मैं' ही रहूं। और शुरू करें फिर वहां से जहां तुम तुम रहो और मैं 'मैं' ही रहूं।
कुदरत का कहर यूं बरपा है पेड़ कटने से , सांसों को मोहताज हुए हैं। कुदरत का कहर यूं बरपा है पेड़ कटने से , सांसों को मोहताज हुए हैं।
होती है शुरुआत नई नवेली, ऑफिस वाली लव स्टोरी ,।। होती है शुरुआत नई नवेली, ऑफिस वाली लव स्टोरी ,।।
बादल भी बेवफाई का भार सह न पाए और नीर की बूँदें बन बरसने लगे, बादल भी बेवफाई का भार सह न पाए और नीर की बूँदें बन बरसने लगे,
आज उसी की याद में मात पिता की आंखें काहे को छलकाईं ? आज आपकी बहुत याद आई विरल भाई... आज उसी की याद में मात पिता की आंखें काहे को छलकाईं ? आज आपकी बहुत याद आई विरल...
क्योंकि ...... जिसे भुलाना था वो आठों पहर दिल के पास था .....! क्योंकि ...... जिसे भुलाना था वो आठों पहर दिल के पास था .....!
अब तो आदमजात में आदमियत मिलती नहीं। डिग्रियाॅं मिलती हैं लेकिन सभ्यता मिलती नहीं।। अब तो आदमजात में आदमियत मिलती नहीं। डिग्रियाॅं मिलती हैं लेकिन सभ्यता मिलती न...
और ज़िन्दगी को एक बार, फिर से जीने को आतुर हो जाती है। और ज़िन्दगी को एक बार, फिर से जीने को आतुर हो जाती है।
पतित स्वयं ही तन मन से तू, मुझे क्यों ऐसा माना था? पतित स्वयं ही तन मन से तू, मुझे क्यों ऐसा माना था?
हँसने / खाने / सोने / मुस्कराने को बहाने क्यूँ बनवाती है..? हँसने / खाने / सोने / मुस्कराने को बहाने क्यूँ बनवाती है..?
आपसे जो बेइंतहा मोहब्बत कर ली. आपसे जो बेइंतहा मोहब्बत कर ली.
ऐसा माहौल हम सबको बनाना है, नफरत का झंडा फहराना है। ऐसा माहौल हम सबको बनाना है, नफरत का झंडा फहराना है।
मैंने प्रेम में हमेशा बिखरना चुना और हर बार पूरा का पूरा बिखर गया। मैंने प्रेम में हमेशा बिखरना चुना और हर बार पूरा का पूरा बिखर गया।
काश तुम वादों की कद्र जानते, ज़ुबान से बदलते नहीं काश तुम वादों की कद्र जानते, ज़ुबान से बदलते नहीं
जब काली आधी रात को, तारों से सजी मेरी बेटी आई। जब काली आधी रात को, तारों से सजी मेरी बेटी आई।
गलती उसकी भी नहीं मैं ही कुछ ऐसी किस्मत ले पैदा हुई कोई रुका नहीं। गलती उसकी भी नहीं मैं ही कुछ ऐसी किस्मत ले पैदा हुई कोई रुका नहीं।
बस, रह गया खाली भ्रम सब कुछ होने का कोशिश होती हैं, कभी कभी, गागर में झांकने की। बस, रह गया खाली भ्रम सब कुछ होने का कोशिश होती हैं, कभी कभी, गाग...
बदल गईं हैं वेशभूषाएं, बदल गए हैं संस्कार। बदल गईं हैं वेशभूषाएं, बदल गए हैं संस्कार।