रात
रात
क्यों रात आज लगे इतनी काली,
चाँद क्यों आज सुना रहा है
एक डराव डरावनी कहानी
कुयो आज लगे ये सास थमि सी,
ये राहे क्यो आज लगे इतनी मुश्किल सी
ये हौसला क्यों हैं आज बिखर रहा,
इस सुन्हरी शाम को क्यों है बादल घिरा हुआ
क्यों मन तुम्हारे ही है गीत गाता,
तुम हो कही आस पास मन दिलासा है दे रहा
सब कुछ है पास, ये सांझ भी है शांत
बस तुम नहीं हो पास।