Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Ila Jaiswal

Others

2  

Ila Jaiswal

Others

Jab

Jab

1 min
1.2K


बहुत दर्द होता है, 

जब अपने घर में, खुद को अकेला पाती हूँ,

अपनों के बीच, खुद को पराया पाती हूँ l

बहुत दर्द होता है,

जब,

तुम मेरे पास होकर ,कहीं और मन लगाते हो,

तुम मेरे साथ होकर ,किसी और से बात करते हो।

बहुत दर्द होता है,

जब

मैं माँ होकर,अपने बच्चों को प्यार नहीं दे पाती,

उनकी आँखों में आँसू होते हैं, पर मैं उन्हें हँसा नहीं पाती।

बहुत दर्द होता है,

जब,

मैं ये सोचती हु,मुझे ऐसे ही जीना पड़ेगा,

हर रोज़ ये ज़हर, मुझे ऐसे ही पीना पड़ेगा।

बहुत दर्द होता है,

बहुत दर्द होता है।

 

 

 


Rate this content
Log in

More hindi poem from Ila Jaiswal

Jab

Jab

1 min read