शीतलहर
शीतलहर
सुना है आज कल,
शीतलहर तुमने चलाई हुई है
हम तो काँप रहे है इसमे
और सारी दुनिया में
तुमने आग लगाई हुई है।
अब हमने भी सोच लिया है
तुम्हें अपने नज़दीक लेकर
कह दंगे हाल दिल- ए- बेकरार का,
सुना है आज कल,
शीतलहर तुमने चलाई हुई है।
हमने तो धुप में साया देखा
और हर छाँव पर तो
तुमने परछाई फैलाई हुई है।
हम कब से राह देख रहे है
इस राह पर फूलों को सजा कर
कह देंगे तुम ही हो राहगुज़र,
सुना है आज कल,
शीतलहर तुमने चलाई हुई है
हमने तो पंछियों को ठिठुरते देखा
तो समझा आ गया ख़्वाबीदा
तू तो मुझ में समाई हुई है।