पुरानी राहें
पुरानी राहें
आज पुरानी इन राहों से
निकल पड़े हैं ये कदम
फिर एकबार रूबरू हो
गए हैं ज़िंदगी और हम
वक़्त के साथ हालात भी
बदलते रहे मौसम के जैसे
जुड़ी गहरी यादें राहों से
खत्म न हो सफ़र ये ऐसे
थामकर उँगली पिताजी की
इन राहों से हमेशा गुजरते थे
अक्सर रूठते रिश्ते भी यहाँ
चंद पलों में यूँ सँवरते थे
पुरानी राहों पर मिली कितनी
बचपन की वो प्यारी निशानियाँ
खट्टी-मीठी यादों को बुनते हुए
बन चुकी हैं कितनी कहानियाँ