वीरगति
वीरगति
स्वदेश की सुरक्षा में समर सैनिक सदा रहते हैं समर्पित,
स्वदेशभक्ति स्वदेशसेवा में करते हैं अपने अमूल्य जीवन को अंकित।
निरंतर अनुभव करते हैं रिपु का अनजाना आक्रमण का चाप,
यह विपक्ष विपरीत उत्तेजना अस्थिरता का किया नहीं जा सकता है माप।
पृथ्वी के विषम परिवेशों में करते हैं अपना जीवन यापन,
देश के हर नागरिक को प्रत्यक्ष परोक्ष में करना है उनका कृतज्ञता ज्ञापन।
सैन्यवाहिनी में कोई नहीं जानता किसका प्राण कब जाएगा,
तय नहीं है किस दिशा से अस्त्र गोली पहुँचकर उनके प्राणवायु ले जाएगा।
सभी धारण नहीं कर सकते हैं सैनिक परिधान,
वीरमाता वीरपत्नियों के बलिदान को देना होगा उचित सन्मान अवधान।
किसी भी मुहूर्त में आ सकता है है युद्ध का सन्देश,
अपने परिवार प्रदेश में अवकाश से भी मुख्य है रणरंग का आदेश।
प्रति वीरयोद्धा को सम्प्राप्त करना है देश के लिए कष्टकर,
जटिल कुटिल प्रशिक्षण से उत्तीर्ण होना प्रति सैनिक के लिए है दुष्कर।
जब हो जाता है निर्भीत वीरयोद्धाओं का वीरगति,
श्रद्धांजलि का कोई भी विधि विधान नहीं कर सकता है उनके कमी की पूर्ति।