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Sonia Madaan

Abstract

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Sonia Madaan

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बसंत ने दी दस्तक।

बसंत ने दी दस्तक।

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फिर से बसंत ने दी है दस्तक,

शरद ने ठिठुरा दिया था अब तक,

सूरज की प्रचंडता फिर से फैली, 

कीट पतंगों की बागों में निकली रैली, 


हर्षाते-लहराते वन-उपवन,

खेतों में सरसों लहराई, 

वसुधा भी देख खूब हर्षायी,

प्रकृति इठलाती पहन पीत चुनर,


नदी नहर भी बहते कल-कल,

अंबवा की डाली पर गूंजे कोयल के मीठे स्वर,

प्रेम संगीत की बहे लहर,

मनोरम दृश्य हर गांव-शहर,


चले मंद पवन बिखराने महक फूलों की,

सुगंधित करने सकल वातावरण।


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