बसंत ने दी दस्तक।
बसंत ने दी दस्तक।
फिर से बसंत ने दी है दस्तक,
शरद ने ठिठुरा दिया था अब तक,
सूरज की प्रचंडता फिर से फैली,
कीट पतंगों की बागों में निकली रैली,
हर्षाते-लहराते वन-उपवन,
खेतों में सरसों लहराई,
वसुधा भी देख खूब हर्षायी,
प्रकृति इठलाती पहन पीत चुनर,
नदी नहर भी बहते कल-कल,
अंबवा की डाली पर गूंजे कोयल के मीठे स्वर,
प्रेम संगीत की बहे लहर,
मनोरम दृश्य हर गांव-शहर,
चले मंद पवन बिखराने महक फूलों की,
सुगंधित करने सकल वातावरण।