एक्वेरियम
एक्वेरियम
मेरे घर में है
एक छोटा सा
प्यारा सा एक्वेरियम
इसमे हैं
रंग बिरंगी मछलियाँ
सब है सजा हुआ
रंगीन पानी
रंग बिरंगे पत्थर
हल्की रौशनी सब कुछ
सहज लगता है
अच्छा लगता है
जो भी देखे वही मोहित
हर कोई कहता
कितना बढ़िया है न!
आह्ह ऐसी ज़िन्दगी मिलती
खाने की कोई चिंता नहीं इन्हें
पर जब कुछ देर गौर से देखा
तब सोचाने लगी
क्या ये ख़ुश हैं ?
शीशे की दीवारों से टकराती
रात दिन बस बेमक़सद
सोचा इन्हें तालाब में डाल दूँ
लेकिन इस ख़्याल ने
रोक दिया
बड़ी मछली छोटी मछली को
कहाँ जीने देती हैं कभी
यहीं रहो तुम भी
चार दिवारी में कैद
ज़िंदा...बस ज़िंदा
मेरी ही तरह।