आया सावन झूम के
आया सावन झूम के
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सावन की रिमझिम में सखी
मन-मोर पपीहा डोले है
कर सोलह श्रृंगार पिया से मिल
यह कंगना मोरा बोले है
मेहंदी की मह्क से सखी
यह बगीया मन की महके है
हरियाली तीज का यह पर्व सखी
मन के सोए तार जगाये है
सैयां संग झूला झूलन को मन मेरा डोले है
तोरे संग मोरे साजन,
मन-मस्त मगन होए झूले है
कंगना संग चूड़ियाँ खनके है
खन -खन सुन आवाज़ सखी
दिल की धड़कन बड़ जाती है
नीम -निवारी सब झूमें
जब झोंका हवा का आय हैं
सावन की ---