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शोभना ऋतु

Others

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शोभना ऋतु

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वो रूठे रहे हम मनाते रहे ...

वो रूठे रहे हम मनाते रहे ...

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वो रूठे रहे हम मानते रहे बस इसी शौक में दिन ये जाते रहे 

उनकी शिकायतें कभी कम ना हुई हमसे हम बस मोहब्बत की शमा जलाते रहे

वो सितम हमपर हर रोज़ करते रहे हम उनके ही सजदे में ये सिर झुकाते रहे

वो जान जलाते रहे मुस्कुराते रहे, हम उनकी ही यादों की बारिश में खुद को भिगाते रहे

समझ कर खिलौना उन्होंने हमारे दिल से खेला बहुत हम उन्हीं के क़दमों में ये दिल बिछाते रहे

सोचा था यकीं होगा उनको इक दिन तो हमारी चाहत पर, बस यही सोच कर वफ़ा हम उनसे निभाते रहे

वो सब कुछ जानकर अनजान से बनते रहे, हम फिर भी दिल उन्हीं से लगाते रहे

बेरुखी से उनकी हमारी जान पर भी बन आयी, हम खुदा से खैर उन्हीं की मानते रहे

वो रूठे रहे हम मानते रहे बस इसी शौक में दिन ये जाते रहे 


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