आसान नहीं बदलना
आसान नहीं बदलना
कभी अपनी भी सुना करता था मैं
पर अब दूसरों की चाहत अपनी बन चुकी है,
अब बस ये बता दे ख़ुदा की बदले कैसे
जब तेरी मिट्टी सूख चुकी है,
शर्तें खुद की होती तो जीते शान से
होश में तो हैं, पर ज़िन्दगी बेहोश हो चुकी है।
कभी अपनी भी सुना करता था मैं
पर अब दूसरों की चाहत अपनी बन चुकी है,
अब बस ये बता दे ख़ुदा की बदले कैसे
जब तेरी मिट्टी सूख चुकी है,
शर्तें खुद की होती तो जीते शान से
होश में तो हैं, पर ज़िन्दगी बेहोश हो चुकी है।