मिट्टी के घड़े
मिट्टी के घड़े
मिट्टी के घड़ों से बनी
आँगन में रंगोली थी।
लाल मिट्टी की मेहंदी
हाथों में भी निखरी थी।
मिट्टी को मोड़ने की कला
कायी पुष्टों से चली थी
बापदादा से बचों तक
सभी ने मिट्टी चुनी थी।
एक हाथ ने काला रंग चुना
क़लम और कगाज से शब्द बुना
लेकिन भूख पहरेदार थी
उसकी हर कोशिश बेकार थी।
मिट्टी के घड़े बहुत सख़्त थे
क़िस्मत आसानी से फूट्ट गयी
हाथ से स्याही छूट गयी
स्याही मिट्टी से हार गयी !