उड़ान
उड़ान
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अब ज़ंजीरों में जकड़ी नहीं,
न ही बेड़ियों में क़ैद हूँ मैं !
उन्मुक्त हवा के झोंके की तरह ,
आज़ाद ख़्याल इंसान हूँ मैं !
अब कोमल, अबला या कमज़ोर नहीं,
लोहे से मज़बूत इरादों वाली ,
नारी शक्ति की पहचान हूँ मैं !
दूर तक फैले नीले आसमाँ में,
उड़ते पंछी की मुक्त परवाज़ हूँ मैं !
ऊँचे फ़लक पर है बसेरा मेरा ,
नये हौसलों से भरी उड़ान हूँ मैं !