तलाक
तलाक
मरते थे लड़के उस पर क्योंकि
वो सबसे खूबसूरत लड़की थी
आया था मेरा दिल उस पर
वो भी मुझपे मरती थी।
माँ बाप को मनाकर
हमने शादी का मन बनाया
खुशियों से भरा हुआ
एक नया संसार बसाया।
बेटी भी हुई हमारी और
वक्त के साथ चलने लगे
पर धीरे धीरे झगड़ों में
हम काफी बदलने लगे।
वो घर कैद लगने लगा
जहाँ आजादी रहती थी
खुशियों की शहजादी
अब दुख में बसती थी।
रहना मुश्किल था साथ में
तलाक की बात चलने लगी
वो घर से ही नहीं अब
दिल से भी निकलने लगी।
मोल नहीं उस घर का
वो दो हिस्से में बंट गया
बेटी को सौंप दिया उसे
मैं उसके रास्ते से हट गया।
वो अंगूठी हाथों की
जिसका अब मोल नहीं
बातें थी बहुत शायद
पर बोलने को बोल नहीं।
घर की चाभी पड़ी रहीं
घर दो हिस्सों में बंट गया
तलाक के कारण सारी
खुशियों का काया पलट गया।