कागज
कागज
मैं कागज का इक टुकड़ा हूँ
कोरा हूँ तो तुच्छ हूँ
गर कोरा नहीं तो बहुत कुछ हूँ।
मैं कागज का इक टुकड़ा हूँ
मैं शायर का कलाम हूँ
किसी के नाम लिखा पैगाम हूँ
मैं दिल की बात दिल तक पहुँचाता हूँ
कभी शोक समाचार, कभी प्रेम-पत्र बनके आता हूँ।
मैं कागज का इक टुकड़ा हूँ
मुद्रा जब बन जाता हूँ
भोग विलास की दुनिया का भगवान कहलाता हूँ
मेरा जादू सर चढ़कर बोलता है
तभी तो ये जग
हर छह को मुद्रा से ही तोलता है
मैं गरीब के चूल्हे की आग हूँ
मैं किसी भ्रष्टाचारी के दामन पे लगा दाग हूँ।
मैं कागज का इक टुकड़ा हूँ
मैं न्यायालय का फरमान हूँ
मैं विवादों का समाधान हूँ
मैं सत्य के पक्ष में बोलता हूँ
कई छुपे रहस्य खोलता हूँ
हर कोई मेरी तामील करता है
मेरे खिलाफ जाने से डरता है।
मैं कागज का इक टुकड़ा हूँ
मैं बच्चों का दिल बहलाता हूँ
कभी नाव बनकर बारिश में तैरता हूँ
कभी पतंग बनकर नभ पे लहराता हूँ।
मैं कागज का इक टुकड़ा हूँ
कोरा हूँ तो तुच्छ हूँ
गर कोरा नहीं तो बहुत कुछ हूँ।।