उम्मीद
उम्मीद
ज़िंदगी में गम है भूल जाने के लिए।
खुशी है तो बहार लाने के लिए।
क्या फर्क पड़ेगा गर हम नहीं है जिंदगी जीने के लिए ?
कम - से - कम हमारी यादें तो हैं हँसने - हँसाने के लिए !
जीवन में कुछ - कुछ पल कुछ ऐसे भी घटते हैं।
यादों की माला में वो अपना मोती बनते हैं।
कभी - कभी कुछ ऐसे मंज़र आ जाया करते हैं।
हिना का रंग लिए जो सदा महकते हैं।
जीवन की होनी - अनहोनी में ही रमते हैं।
आशा के धागों से बंधकर सच्चाई से मिलते हैं।
पहुँच गर्दिश में ज़मीन को तकते हैं।
इसीलिए तो शत - शत वो गर्दिश में रहते हैं।
जीवन की अनुपम धारा में बहकर निर्मल रहते हैं।
धूप - छाँव के इस मेले में सदा तबस्सुम देते हैं।
मंज़िल को धड़कन बना साँसों पर चलते हैं।
बना प्रेरणा सत्कर्मों को जीवन का पथ तय करते हैं।
साँसों के संग जीना है
उम्मीदों की सीढ़ी चढ़ना है।
जीवन में नहीं पूर्णविराम लाना है।
ज्ञान प्रज्ञा के तालमेल को जागृत करना है।
ऐसे संस्कार रखते हैं।
इसीलिए महापुरुषों में सदा अग्रणी रहते हैं।