देर हो जाती है
देर हो जाती है
जब वक्त दगा करता है
तो हर काम मे देर हो जाती है
जब अपने हमसे खफा खफा हो
तो हर काम वक्त पर नहीं पूरा होता।
देर हो जाती है अक्सर
क्योंकि वक्त पर मैं सोता नहीं
वक्त पर फिर उठता नहीं
हर काम फिर देर से होता है।
सब काम पूरे करते करते
ऐ दोस्त तेरी दोस्ती निभाना
भूल जाता हूँ
झूठ तुझसे कई बोलने पड़ते हैं।
तेरा दिल तोड़ना पड़ता है
देर हो जाती है अक्सर
कसूर मेरा नहीं है तेरा ही है
तू मेरे ख्यालों में इस क़द्र छाई हुई है।
नींद मुझे फिर आती नहीं
चैन कहीं खो जाता है
क़सूरवार हो तुम क्यों हर जगह
नजर आती हो।
ख्वाबों में भी तुम ही तुम
नींद कहाँ से आएगी
देर हो जाती है अक्सर...।।