तो कुछ और सोचेंगें
तो कुछ और सोचेंगें
खुद पर यकीन रखेंगें, बात-बात पर दूसरों को नहीं कोसेंगें,
अगर ये तरकीब भी काम ना आई तो कुछ और सोचेंगें,
इस बार भी मेहनत रंग ना लाई तो कुछ और सोचेंगें,
फिर से अगर हिस्से में हार आई तो कुछ और सोचेंगें।
किसी काम ना आई की हुई पढ़ाई तो कुछ और सोचेंगें,
कमाई से ज्यादा हो गई महंगाई तो कुछ और सोचेंगें
इस साल खुदा ने रहमत ना बरसाई तो कुछ और सोचेंगें,
रहनुमा ने अगर मंज़िलें ना मिलाई तो कुछ और सोचेंगें।
नाउम्मीदी में उम्मीद नज़र ना आई तो कुछ और सोचेंगें,
हस्ती ने ना छोड़ी डर की परछाई तो कुछ और सोचेंगें,
तबीयत को उदास कर गई तन्हाई तो कुछ और सोचेंगें,
वक्त ने जख़्मों की ना की भरपाई तो कुछ और सोचेंगें|
रिश्तों में अगर राजनीति दी दिखाई तो कुछ और सोचेंगें
उन्हें मेरी मोहब्बत नज़र ना आई तो कुछ और सोचेंगें,
अगर जज़बातों में ना रही गहराई तो कुछ और सोचेंग
मेरी ये शायरी दिलों को छू ना पाई तो कुछ और सोचेंगें|
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#postiveindia,