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Vrajlal Sapovadia

Drama

3  

Vrajlal Sapovadia

Drama

बन्दर बनने से बचना

बन्दर बनने से बचना

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परदादा ने किया वो ही दादा करते 

दादा ने किया वो ही पिता करते 

दादी ने किया वो ही माता करती 

माता पिता ने किया वो ही हम करते 


तो आज हम जंगल में रहते 

झाड़ के पत्ते पहनते और वो ही खाते 

वहां ही रहते वहां ही पढ़ते 

विद्यापीठ के कुलपति एवं अध्यापक 

उछलते हमें पढ़ाते क्योंकि वो बन्दर होते 


न मोटर होती ना विमान 

न मुंबई होता न लन्दन 

न अस्पताल होती न स्मशान 

न चुनाव होता न प्रधान 

न टीवी होते न चैनल 


खाने में न पिज्ज़ा होता न इडली या रोटी 

मारते फिरते घूमते रहते 

तुम किसीको मारते कोई तुमको 

ना वहां जीवन बीमा होता 


ना पुलिस ना अदालत 

ना वॉट्सअप ना फेसबुक 

तय करो जंगल में रहना या नगरमे 

नगर में रहने में विवेकऔर साहस चाहिए 


नक़ल करना मना है यहाँ 

सारासार का ज्ञान चाहिए 

विवेक और संयम चाहिए 

कुछ लेना तो कुछ छोड़ना


कुछ नया बनाये कुछ तोड़िये 

सोच ऊँची रखिये तो बस है 

रात को शांति से सो कर स्वप्न देखिये 

दिन को अच्छे अच्छे काम करो 


तो ही स्वप्न साकार होते हैं 

दादा दादी और माँ बाप की इज्जत करो 

उससे ज़्यादा करो अच्छा करो 

हिंसा करना बंध करो 


नहीं तो बन्दर के बन्दर रह जाओंगे 

और हम नगर के अंदर रह जायेंगे 

आसमान में उड़ते जायेंगे 

दरिया पार तैरते जायेंगे 


लन्दन की सैर करेंगे 

और तुम देखते रह जाओगे।


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